ना तख्त रहा ना ताज रही,
ना रहा कोई औकात,
फिर भी तेवर गया नहीं।
ना कुर्सी रही ना पद रहा,
ना रहा कोई साथ,
फिर भी तेवर गया नहीं।
ना जवानी रही ना ताकत रहा,
ना रही ओ बात,
फिर भी तेवर गया नहीं।
ना डाली रही ना तना रहा
ना रही फूलों वाली बात,
फिर भी तेवर गया नहीं।
ना दिल रहा ना दिलबर रही,
ना रहा कोई जज्बात ,
फिर भी तेवर गया नहीं।
ना भविष्य रही बस इतिहास रहा,
ना बचा कोई इंतकाम,
फिर भी तेवर गया नहीं।