अबोध

अल्प ज्ञानी ,कुछ ना मानी।
कुछ सही कुछ ग़लत पैमानी।।

ना दिन ना रात जानि।
अल्प बोधी वयक्त अभिमानी।।

शोभा सुंदर की बात बेईमानी।
अक्खर पक्कर सब सहानी।।

तृष्णा कृष्णा घोर माया।

ना ममता ना देही काया।।

रस रंग सब उपज की खानी।
मन में बसे दिल में नाही।
दिल में बसे सब जगह पांही।।।

अनहद नाद सुवाद सबे ओर।
जिन सुना सब पाया।।

ज्ञान जगी अभिमान ना उपजे।
सत्य की खोज में हरदम रहे।।

प्रेम की भाषा प्रेम से जाने।
प्रेम ही प्रेम , प्रेममय वाणी।।

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