क्यों दिल का दर्द
मैं बाहर नहीं निकाल पाता हूं
जो मैं लिखना चाहूं,
लिख नहीं पाता हूं।
मैंने सहे एक से एक जख्म,
क्यों दिल के जख्म दिखा नहीं पाता हूं,
जो मैं लिखना चाहूं,
लिख नहीं पाता हूं।
ये सर्द हवाएं और बारिश की बूंदे,
सब महसूस करता हूं,
पर अपने जज्बात,
बाहर निकाल नहीं पाता हूं,
जो मैं लिखना चाहूं ,
लिख नहीं पाता हूं।
इतना सुंदर ईश्वर की रचना है,
फिर क्या सोचना है,
अपने सोच को ,
बाहर निकाल नहीं पाता हूं,
जो मैं लिखना चाहूं,
लिख नहीं पाता हूं ।
♥️♥️
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